Friday, 8 August 2025

प्रिय युगल

 

तुम्हारी सादगी ही है सबसे बड़ा धन,
नहीं देखा तुम्हारा-सा कोई भी जन।
सब में अलग, सबसे निराला,
तुम्हारा धैर्य – एक अमूल्य हवाला।

हर रिश्ते को तुमने दिल से निभाया,
हर मोड़ पर अपनों का साथ निभाया।
तुम्हारी समझदारी, वो गहराई भरी,
जैसे शांत नदी, पर अंतस में लहरें तरी।

तुम्हारी मासूमियत में है कुछ खास,
सच्चाई ही बनती तुम्हारी पहचान की आस।
तुम्हारे जैसी आत्मा दुर्लभ है जहां में,
तुम चमकते हो इस भीड़ भरी राह में।

तुम हो सफल क्योंकि दिल से सच्चे हो,
कभी न थकते, बस प्रेम से पक्के हो।
महादेव और मातरानी की कृपा बनी रहे यूं ही,
तुम रहो सदा मुस्कुराते, जीवन हो मधुर बंसी।


Tuesday, 5 August 2025

keku नानू की दोस्ती

 keku नानू की दोस्ती

Keku का नाना से लगाव कोई आम बात नहीं है…

हर दिन की सुबह नाना की गोद से शुरू होती थी- वो हँसी, वो खिलखिलाहट, वो नज़रों में चमक… जैसे पूरी दुनिया ही वहीं सिमट आई हो।

नाना के साथ खेलना, बातें करना, उनके चेहरे को निहारना.. ये सब keku की छोटी-सी दुनिया का सबसे प्यारा हिस्सा है।

लेकिन अब, जब से नाना दूर हुए हैं… यानी लखनऊ

keku का चेहरा जैसे चुप हो गया है।

न हँसी है, न खेल… जैसे मन के भीतर कुछ खाली-सा हो गया हो।

खाने में भी वो दिलचस्पी नहीं बची, आँखें हर पल जैसे ढूंढती हैं - "नाना कहाँ हैं?"

वो मासूम दिल अब भी समझ नहीं पाता कि जो हर पल साथ था, वो अचानक दूर क्यों हो गया।

कभी दरवाज़े की तरफ देखता है, कभी नाना की तस्वीर छूता है… और चुपचाप उदास हो जाता है।

keku बस अपने नाना को मिस कर रहा है , बहुत ज़्यादा, बहुत गहराई से।

इतनी छोटी उम्र में भी इतना गहरा जुड़ाव हो सकता है, ये देखना एक माँ के लिए भावुक कर देने वाला अनुभव है।

कभी-कभी वो सिर्फ एक इंसान नहीं होता… वो किसी के लिए पूरी दुनिया होता है...

जैसे नाना, हमारे keku की पूरी दुनिया बन चुके है।"


Tuesday, 16 July 2019

इश्क मुश्किल है..
काफी मुश्किल है...
उबर खाबर पड़ाव है..
जिस पर चलना नंगे पांव है..
ठोकर तो काफी लगेगी..
तुम हर ठोकर पर हाथ कसके थाम लेते हो तो बात कुछ और होगी..
हां मैं मानता हूं कि इश्क जाहिर करने में मैं थोड़ा कच्चा हूं..
मगर इश्क है, तुमसे हैं,बेहद है, लो सरेआम कहता हूं।

Thursday, 11 July 2019




जैसे-जैसे बचपन खत्म हुआ, दूरियां बढ़ी,
थोड़ी जिम्मेदारियां बढ़ी, थोड़ी मजबूरियां बढ़,
बदल गए रोज के चार झलक उसके
महीनों की एक मुस्कान में,
वो कानों में फुसफसाना उसका,
जान डाल देता था जो जान में,
अब तो महीनें बीत जाते हैं
एक दूसरे को देख नहीं पाते हैं,
अनगिनत किस्से सुनाते थे उसे कहां,
अब किस्से अनगिनत उसके सुनाते हैं...

Sunday, 23 September 2018

पहली मुलाकात

याद है मुझे जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी ..
अपने घर के आंगन में दूर खड़ी मैं उसी तरह तुम्हें देख रही थी  जिस तरह तुम मुझे देख रहे थे..

यूं तो सपनों में कई बार मिले थे हम,  पर पहली बार हमारी आंखें चार हुई थी जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी..

हमारी नजर एक दूसरे पर पड़ी ही थी कि शर्मा उठे थे हम दोनों..

ना जाने कैसी हलचल थी जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी..

 सांसी धीरे से सहर से रही थी रही थी दिल की धड़कन तेज सी हो रही थी..

जिंदगी की नई शुरुआत हुई थी जब तुम से पहले मुलाकात हुई थी..

फरवरी की थोड़ी सी गर्मी, और मेरी बेतुकी बातों को तुम्हारा यूँ घंटो झेल जाना.. खूबसूरत एहसास था वो जब तुमसे पहली मुलाकात हुई थी..

फिर बातों बातों में, उस लम्हे का गुज़र जाना,और फिर तुम्हारा विदा कह जाना, याद है मुझे हमारी आखिरी मुलाकात हुई थी..

पता नही फिर कभी हम मिलें या ना मिलें,
वो हमारी पहली मुलाकात.. याद है मुझे हमारी आखिरी मुलाकात हुई थी..

पर सालों बाद भी जब मैं जिंदगी के इन पन्नो को पलटूगीं इनमे तुम्हारा भी जिक्र होगा, कुछ यादें होगी,आँखों में नमी और होठों पर हँसी के साथ एक बात होगी,
कि याद है मुझे हमारी पहली और आखिरी मुलाकात...ruchi sharma. 

Saturday, 9 June 2018

  • क्या लिखूं 


तुम्हारे बारे में क्या लिखूं कम लिखू या ज्यादा लिखूं
हंसी लिखूं या अांसू लिखूं..
प्यार  लिखूं या गुस्सा लिखूं
पास लिखूं या दूर लिखूं
तुम्हारी मासूमियत लिखूं या अपनी चुलबुलाहाट लिखूं
तुम्हे अपना लिखूं या अपनी तुम्हे लिखूं
अपनी जलन लिखूं या तुम्हारा जलाना लिखूं
अपना रूट जाना लिखूं या तुम्हारा मनना लिखूं
तुम्हारा देखना लिखूं या अपनी नजरे झुकाना लिखूं
क्या लिखूं कितना लिखूं... सिर्फ तुम्हे लिखूं

Thursday, 5 April 2018

                                              एक कविता...



एक कविता जो हमने लिखनी शुरू ही कि थी
वो पूरी न हो सकी
लिखने से पहले काव्य की नायिका
नायक से नाराज हो गई
और वो कविता अधूरी हो गई

नायिका कठोर थी
निष्ठुर थी
तो नायक भी लक्ष्य पाने को आतुर था
कदम बढ़ाने के लिए भी वह चतुर था
फिर भी कविता अधूरी रह गई
कवि ने अभी हार नहीं मानी है
रार नहीँ मानी है।
नायिका उसकी थी
है और रहेगी