Friday, 8 August 2025

प्रिय युगल

 

तुम्हारी सादगी ही है सबसे बड़ा धन,
नहीं देखा तुम्हारा-सा कोई भी जन।
सब में अलग, सबसे निराला,
तुम्हारा धैर्य – एक अमूल्य हवाला।

हर रिश्ते को तुमने दिल से निभाया,
हर मोड़ पर अपनों का साथ निभाया।
तुम्हारी समझदारी, वो गहराई भरी,
जैसे शांत नदी, पर अंतस में लहरें तरी।

तुम्हारी मासूमियत में है कुछ खास,
सच्चाई ही बनती तुम्हारी पहचान की आस।
तुम्हारे जैसी आत्मा दुर्लभ है जहां में,
तुम चमकते हो इस भीड़ भरी राह में।

तुम हो सफल क्योंकि दिल से सच्चे हो,
कभी न थकते, बस प्रेम से पक्के हो।
महादेव और मातरानी की कृपा बनी रहे यूं ही,
तुम रहो सदा मुस्कुराते, जीवन हो मधुर बंसी।


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