Tuesday 28 January 2014

                        हर चाय की दुकान छोटू के नाम !


बचपन के वो हसीन पल याद करके, वो शरारते याद करके, आज भी चेहरे पर मानो मुस्कुराहट नहीं रूकती । न किसी तरह की चिन्ता न किसी तरह का तनाव और सभी जिम्मेदारियों से एकदम आजाद । हर बात में अपनी जिद्द करना चीज़े पसन्द आ जाना तो उसे हसिल करके ही रहना । वाह! क्या दिन थे वो बचपन के । पर क्या सभी का बचपन एक जैसा हो ऐसा जरूरी नहीं ।
       आज जब मैं उन बच्चो को सड़क पर काम करते हुये देखती हंू जिनकी उम्र में हम बिस्तर में ही खाना खाते थे आज  हमारी उसी उम्र के ही वो बच्चे रोटी पाने के लिए काम करते हैं। बाल मजदूरी की समस्या से आप अच्छी तरह वाकिफ होगें । कोई भी ऐसा बच्चा जिसकी उम्र 14 वर्ष से कम हो और वह जीविका के लिए काम करे बाल मजदूरी कहलाता है । गरीबी, लाचारी,भूखमरी, माता पिता की प्रताड़ना के चलते बच्चे बाल मजदूरी की दलदल में फंसते जा रहे है । आज दुनिया में 215 मिलियन ऐसे बच्चे है जो 14 वर्ष से कम है और बाल मजदूरी का शिकार हो रहे है ।  जो समय हमारा किताबो यारो- दोस्तो, खेल खूद में बीता वही समय ऐसे बच्चो का बर्तन, झाडू- पूछें ,होटलो में सफाई, रिक्शा चलाने में बीत रहा है । भारत में यह स्थिति बहुत भयावह हो चला है । दुनिया में सबसे ज्यादा बाल मजदूरी भारत में है । 1991 की जनगणना के हिसाब से बाल मजदूरों का आकंडा 11.3 मिलियन था । 2001 में यह आकंडा बढ़कर 12.7 मिलियन पहुंच गया ।
       घर से बाहर निकलते ही हर दुकान ढाबे में आपको छोटू, राजू, मुन्नी मिलेंगे । कोई चाय के कप साफ करता कोई पूछें लगाते तो कोई रिक्शा चलाते । इसमें सबसे  बड़े दोषी हम खूद है।  बाल श्रम की चर्चा करते हुये हम बड़े आराम से उनसे चाय ले लेते है काम करवा लेते है । हम ही है जो इसे बढ़वा दे रहे है । उन बच्चो से काम करवाते वक्त कभी ये सोचा है कि इन बच्चे की उर्म में हमारे बच्चे कैसे थे? वो क्या करते थे ? नहीं सोचा होगा तभी तो इस अपराध को  बढ़ावा देने वाले हम ही है  और यह बात केवल बाल मजदूरी तक ही सीमित नहीं है , इसके साथ ही उन मासूमो के  साथ कई घिनोने काम  भी होते है । मेरे अनुमान से अगर 80% बाल मजदूरी है तो 50% उन बच्चो में शारीरिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे है । बाल मजदूरी की उस स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकार ने चाइल्ड लेबर एक्ट बनाया जिसके तहत बाल मजदूरी को अपराध माना गया । यह तक की आज सरकार हर जगह  सरकारी विघालये खुले है । जिनमें 8वीं तक की शिक्षा अनिवार्य और निष्शुल्क कर दी लेकिन गरीबी बेबसी ने इसे निष्फल सबित कर दिया । उन बच्चो के मां- बाप इस वजह से उन्हे  आगे नहीं भेजते क्योंकि स्कूल जाने से परिवार की आमदनी कम हो जायेगीं ।
         बाल मजदूरी का सबसे बड़ा कारण है गरीबी । गरीबी के चलते मां बाप ऐसा कदम उठाते है । पर अगर वो पढेÞ लिखे नहीं है तो हम तो है । हर वो बच्चा जो अपने बचपन को खोकर बाल मजदूरी के दल दल में फंस रहा है  हम खूद उन्हें रास्ता दिखाये । सरकार द्वारा दी गई सेवायें (जैसे निशुल्क शिक्षा ) तक उन्हें पहुंचाये । और साथ ही साथ सरकार को भी इस विषय में गम्भीर रूप से सोचना होगा और ऐसे अपराध को रोकने के लिए सशक्त कानून और गरीबी दूर करने के लिए कुछ जिम्मेदारियां सरकार भी उठाये ।