Saturday 22 December 2012

kakrosh ki abhivaykt

शर्मसार   गयी  मै  ये सुनकर कि  हमारी  राजधानी  ..अरे !! माफ़  कीजियेगा हमारी नहीं बाल्त्कारियो   की राजधानी  delhi में चलती बस में  लड़की से सामुहिक  बाल्तकार  और गम्भीर  हालत हालत  में   उसे  छोड़  दिया , ये कोई  आम इन्सान  नहीं हो सकता , ये हवानियत  है , अब बात ये उठती  है की सरकार  कोई कदम  उठाये  तो क्यों  उठाये  ? भाई भाई ! क्या   तुम्हारी  बेटी है ? क्या वो तुम्हारी  बहेन  है ? या तुम्हारी  बीबी  है ?
तो क्यों उठाए कदम ?हम इन्सानों  की गिनती  में  थोड़ी  न आते है . अरे !! हेवान  है हम ! जो इतना सब देख  कर भी  काली  पठी  से आंख  बंद किये   हाथ  में इंसाफ  का तराजू  पकडे  खड़े है .. माफ़  कीजिएगा  मेरा उस  लड़की  से कोई खून  का सम्बन्ध   नहीं है , पर हां  इंसानियत   नाम से उसके दरद  को महसूस  करने की हिमत रखती  हु मै  , मै  एक आम जनता हू , उन करोड़ो  की आवाज  में  मेरी भी  एक आवाज है , जो उसके लिए इंसाफ  मांगने  के लिए  खाड़ी  है , सरकार  क्या देगी  सजा  , सरकार  के अनुसार  बलत्कार  करने  की  सजा  7 साल  है , तो भाई सहब !!इंतजार करो  की आपकी  बीबी  , लड़की  और बहन  का  बारी  कब आयेगी ?  हम लड़की है हमे भी  दो  जीने  का अधिकार  ? क्यों समय  की पावंदी  हमे  दी  जाती है ?यही अगर  माँ  ने  लड़के  के पैदा होते समझाया  होता तो  आज कोई  बलत्कार  जेसा  घिनोना  काम  न होता . अगर आज उन  6 जानवरों  को सजा-ए -मौत न दी जाएगी  तो इसी  तरह  और भी कई  जानवर  पैदा  होंगा ...
                               माँ  मै  तेरे आगन  आई , माँ  मै  खुहाली  लाई ,
                               जग  को सुंदर  बनाया , पर  आज जग  ने  ही मुझे  अभिशाप  बनय ............