Sunday 23 September 2018

पहली मुलाकात

याद है मुझे जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी ..
अपने घर के आंगन में दूर खड़ी मैं उसी तरह तुम्हें देख रही थी  जिस तरह तुम मुझे देख रहे थे..

यूं तो सपनों में कई बार मिले थे हम,  पर पहली बार हमारी आंखें चार हुई थी जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी..

हमारी नजर एक दूसरे पर पड़ी ही थी कि शर्मा उठे थे हम दोनों..

ना जाने कैसी हलचल थी जब हमारी पहली मुलाकात हुई थी..

 सांसी धीरे से सहर से रही थी रही थी दिल की धड़कन तेज सी हो रही थी..

जिंदगी की नई शुरुआत हुई थी जब तुम से पहले मुलाकात हुई थी..

फरवरी की थोड़ी सी गर्मी, और मेरी बेतुकी बातों को तुम्हारा यूँ घंटो झेल जाना.. खूबसूरत एहसास था वो जब तुमसे पहली मुलाकात हुई थी..

फिर बातों बातों में, उस लम्हे का गुज़र जाना,और फिर तुम्हारा विदा कह जाना, याद है मुझे हमारी आखिरी मुलाकात हुई थी..

पता नही फिर कभी हम मिलें या ना मिलें,
वो हमारी पहली मुलाकात.. याद है मुझे हमारी आखिरी मुलाकात हुई थी..

पर सालों बाद भी जब मैं जिंदगी के इन पन्नो को पलटूगीं इनमे तुम्हारा भी जिक्र होगा, कुछ यादें होगी,आँखों में नमी और होठों पर हँसी के साथ एक बात होगी,
कि याद है मुझे हमारी पहली और आखिरी मुलाकात...ruchi sharma. 

Saturday 9 June 2018

  • क्या लिखूं 


तुम्हारे बारे में क्या लिखूं कम लिखू या ज्यादा लिखूं
हंसी लिखूं या अांसू लिखूं..
प्यार  लिखूं या गुस्सा लिखूं
पास लिखूं या दूर लिखूं
तुम्हारी मासूमियत लिखूं या अपनी चुलबुलाहाट लिखूं
तुम्हे अपना लिखूं या अपनी तुम्हे लिखूं
अपनी जलन लिखूं या तुम्हारा जलाना लिखूं
अपना रूट जाना लिखूं या तुम्हारा मनना लिखूं
तुम्हारा देखना लिखूं या अपनी नजरे झुकाना लिखूं
क्या लिखूं कितना लिखूं... सिर्फ तुम्हे लिखूं

Thursday 5 April 2018

                                              एक कविता...



एक कविता जो हमने लिखनी शुरू ही कि थी
वो पूरी न हो सकी
लिखने से पहले काव्य की नायिका
नायक से नाराज हो गई
और वो कविता अधूरी हो गई

नायिका कठोर थी
निष्ठुर थी
तो नायक भी लक्ष्य पाने को आतुर था
कदम बढ़ाने के लिए भी वह चतुर था
फिर भी कविता अधूरी रह गई
कवि ने अभी हार नहीं मानी है
रार नहीँ मानी है।
नायिका उसकी थी
है और रहेगी

                                      थी एक एेसी कहानी..




वह भी थी एक ऐसी कहानी..
 जब उसके होठों में थी मेरी जुबानी...
 दिल में जो होता था ..
उसकी आंखों में थी वह निशानी ..
वह भी थी एक ऐसी कहानी
मेरे मन की बातें उसके होठों में लहराती.
वह भी कहता मैं तेरा और तू मेरी हो जाती
वह भी थी एक ऐसी कहानी...
हर पल मुझसे बातें करता मेरी ही बातों को सुलझाता..
मेरे उलझे बालों को हर वक्त वह सहलाता...

- ख्वाबों का साहिर