इश्क मुश्किल है..
काफी मुश्किल है...
उबर खाबर पड़ाव है..
जिस पर चलना नंगे पांव है..
ठोकर तो काफी लगेगी..
तुम हर ठोकर पर हाथ कसके थाम लेते हो तो बात कुछ और होगी..
हां मैं मानता हूं कि इश्क जाहिर करने में मैं थोड़ा कच्चा हूं..
मगर इश्क है, तुमसे हैं,बेहद है, लो सरेआम कहता हूं।
काफी मुश्किल है...
उबर खाबर पड़ाव है..
जिस पर चलना नंगे पांव है..
ठोकर तो काफी लगेगी..
तुम हर ठोकर पर हाथ कसके थाम लेते हो तो बात कुछ और होगी..
हां मैं मानता हूं कि इश्क जाहिर करने में मैं थोड़ा कच्चा हूं..
मगर इश्क है, तुमसे हैं,बेहद है, लो सरेआम कहता हूं।