Friday 30 December 2011

yu chalta rha ye safar ...2

ज़िन्दगी के कुछ फेसले इतने कठिन हो जाते की चहा कर भी हम उन्हे अपना नही सकते ,
ज़वाब थो सब मांगते है फिर क्यों उस खामोसी  मे छुपे ज़वाब को क्यों नही पहचानते ,
न जाने मेरी खामोसी को क्या समझ बैठे वो ,
बिन जाने क्यों  इतनी दूर चले गए वो ,..............




Saturday 24 December 2011

yu chalta rha ye safar ...

क्यों दिल हमेसा  एक बार दाद्कता है ,
क्यों जो हमारा नही है उसे पाने की इच्छा रखता है,
क्यों कहा जाता है की साचा प्यार हमेसा रुलाता है ,
यही सवाल लिए ज़िन्दगी आज भी  उस सपनो की ओर भाग रहे है ,
हाथो मे कलम लिए उस पानो की रफ़्तार की ओर जा रहे है ,
ज़मीन मे पड़े ये पाने ही है सहारा ,
क्या आज भी यही सोचता है दिल की वो नही है हमारा ,