Wednesday 28 May 2014

  1. चेहरे के साथ सपने झुलसाता तेजाब 



'विनोदिनी के पिता को पैसे उधार देने के बाद, राजू की नीयत विनोदिनी पर थी वह उससे शादी करना चाहता था। मासूम विनोदिनी के इनकार करने पर उसने उसे तेजाब से नहला दिया।
 विद्या के माता-पिता ने जब उसकी शादी स्थगित कर दी, तो उसके मंगेतर ने उसके चेहरे पर तेजाब उड़ेल दिया।
 इकतरफा प्रेम में सिरफिरे आशिक का प्रेम पत्र न स्वीकार करने की सजा अर्चना ठाकुर को ऐसी मिली की आज उसका खूबसूरत सा चेहरा तेजाब की आग में बुरी तरह से जल गया है। ये मामले तो महज बानगी मात्र है। आज देश भर में न जाने ऐसी कितनी लड़कियां हैं जिनके सपने पल भर में चूर हो गए हैं। एक पल में उनकी जिंदगी से सारी खुशियां काफूर हो गईं। आज वे शरीर से जिंदा तो हैं लेकिन आत्मा से वह उसी दिन मर गई थीं जिस दिन उनके साथ यह अन्याय हुआ था। वे समाज व कानून से बस एक ही सवाल कर रही हैं कि आखिर मेरा कसूर क्या था? ’
 आजकल महिलाओं पर तेजाब फेंकने की घटनाएं बराबर देखी जा रही हैं। इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का विचार किया और गृह मंत्रालय ने इसके लिए भारतीय दंड संहिता में संशोधन लाने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्ताव के अनुसार तेजाब फेंकने वाले को दस साल की कैद और दस लाख रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है। सरकार के काम की गति को देख कर हम अंदाजा लगा सकते हंै कि आने वाले पांच छह सालों में ये कुछ संशोधनों के साथ तब आनन-फानन में पास करा कर लागू कर दिया जायेगा जब इस अपराध का आंकड़ा आसमान छूने लगेगा और यह रोज की बात हो जाएगी। महिला संगठन और कुछ एनजीओ उस कानून को पास कराने के लिए आन्दोलन करेंगे हो हल्ला मचाएंगे कुछ बवाल भी होगा पर तब तक न जाने और कितनी लड़कियों का जीवन इस घटिया मानसिकता के कारण कि ए गए इस अपराध से बर्बाद हो चुका होगा ।
क्यों फेंकते हैं तेजाब
 अक्सरएसिड अटैक से जुड़े कई मामलो में मुख्य कारण बेवफाई होता है। बेवफाई कर दी तो तेजाब डाल कर जिस्म जला दिया। लड़की ने हां नहीं बोला तो तेजाब डाल दिया। कुछ मामले तो ऐसे देख्ो जाते हंै जहां लड़की के घरवालों द्बारा दहेज न मिला तो ससुरालवालों ने लड़की पर तेजाब फेंक दिया। सुनने में अब ऐसी खबरें कितनी मामूली सी लगती हैं कि फलां लड़की पर फलां लड़के ने तेजाब फेंक दिया। पर क्या कभी किसी ने इस बात का अंदाजा लगाया है कि ये तेजाब महज महिलाओं के शरीर को ही नहीं बल्कि उन्हे मानसिक रूप से भी आघात पहुंचाता है। इसके साथ ही उनका सामाजिक जीवन भी खत्म कर देता है। वे बेचारी जिंदगी भर दूसरों का मोहताज बन कर रही जाती है। जिंदगी में फिर से आत्मविश्वास के साथ समाज का सामना करना काफी मुश्किल होता है। किसी लड़की या महिला पर तेजाब से हमला करना, सबसे क्रूर हमला माना गया है। तेजाब एक ऐसा हथियार है जिसे अमूमन चेहरे पर डाला जाता है, जिसका मकसद महज सिर्फ उस इंसान का चेहरा खराब करना होता है जिसके लिए दिल में नफरत होती है। इस हमले की ज्यादातर शिकार महिलाएं होती हैं। एसिड अटैक एक ऐसा भयावह अपराध है जो की इंसान को एक असीम दर्द लेकर जीने को मजबूर कर देता है, जीने का मकसद खत्म कर देता है। एक ऐसे अंधेरे में डाल देता है जिसकी रोशनी का कोई ठिकाना नहीं होता। इस निर्दयी अपराध को अंजाम देने के लिए एचसीएल और सलफ्यूरिक जैसे एसिड का प्रयोग किया जाता है। ऐसी स्थिति देखकर हम नारी सशक्तिकरण की बात कैसे कर सकते हैं? एसिड अटैक के बहुत कम ही मामले ऐसे हैं जो लोगों की नजर में आ पाते हैं।
 घटनाओं के आंकड़े
दुनिया के करीब बीस देशों में हर वर्ष करीब 15०० लोग एसिड अटैक के शिकार होते हैं और इनमे 8०% औरतें होती हैं। जिनमें से 7०% की उम्र 18 साल के आस-पास होती है। दक्षिण एशियाई देशों में ही ऐसे कुकृत्य ज्यादा देखने में आते हैं और इनमे प्रमुख भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान , अफगानिस्तान, कम्बोडिया आदि हंै। इन देशों में एक वर्ष में करीब 1०० एसिड अटैक के मामलों की रिपोर्ट दर्ज होती है। इसके अलावा ऐसे कितने मामले दब जाते हैं जिनकी कोई गिनती नहीं होती है।
 एक सर्वे के मुताबिक भारत चौथा ऐसा देश है जहां महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा है। चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग की हों। शादी के लिए इनकार किया, तलाक के लिए आगे बढ़ी या प्रेमी के प्रेम प्रस्ताव को ठुकराया तो ज्यादातर ऐसे मामले में महिलाओं पर एसिड अटैक किया गया। दहेज, जमीन-जायदाद व बिजनेस के विषय में भी महिलाओं पर एसिड फेंका गया। इनमें से 34 फीसद मामले ऐसे थे जिसमें युवती ने शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। पिछले कुछ सालों में एसिड अटैक के मामले इस कारण भी बढ़े हैं क्योंकि यह सस्ता व आसानी से सुलभ था बजाय किसी और हथियार के।
 लम्बी न्यायिक प्रक्रिया
 भारत में भी देश के एक कोने से दूसरे कोने तक आज अनेक महिलाएं इस जघन्य अत्याचार की शिकार हो रही हैं। जो आज अपना एक खूबसूरत सा चेहरा खो चुकी हैं। जिनकी बस कहानियां ही बाकी रह गईं हैं। हमारे कानून में तेजाब फेंकने वाले अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान नहीं है। न्यायिक प्रक्रिया भी बहुत लम्बी है, और फैसला आने तक अपराधी किसी की जिन्दगी तबाह कर खुद आराम से सामान्य जीवन बिताते रहते हैं । जबकि पीडिèता न सिर्फ असहनीय दर्द झेलते हुए एक जिदा लाश की तरह हो जाती है बल्कि उसके चरित्र पर भी उंगलियां उठाई जाती हैं। तेजाब सिर्फ चेहरे को ही नहीं झुलसाता बल्कि पीड़ितों के लिए एक-एक दिन जीना मुश्किल कर देता है। अक्सर उनकी आंखों की रौशनी भी चली जाती है। उन्हे कान से सुनाई नहीं देता और उनके हाथ-पैर भी ठीक से काम नहीं करते हैं।


क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट 


महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे तेजाब हमले को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने इस पर चिता जताई है। इस मामले में तेजाब हमले की पीड़िता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर तेजाब बिक्री पर रोक लगाने और तेजाब हमले के अपराध में कड़ी सजा का प्रावधान करने की मांग की है। एसिड अटैक के बढ़ते मामलों के कारण पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने कुछ अहम फैसले किए। शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐसे हमले में दोषी पाए गए लोगों को जमानत नहीं मिलेगी। पीडिèता को बड़ा मुआवजा देने व उसके पुनर्वास के भी निर्देश जारी किए गए। यहां तक कि तेजाब की खुलेआम बिक्री रोकने का निर्देश भी दिया गया। अब तेजाब की बिक्री के लिए विक्रेता को तेजाब खरीदने का सही कारण भी बताना होगा। विक्रेता को ग्राहक का नाम, पता व टेलीफोन नंबर भी रिकार्ड में रखना होगा। तेजाबी हमले की शिकार ज्यादातर गरीब परिवारों की युवतियां थीं, जिनके पास अपना इलाज कराने के लिए पर्याप्त पैसे भी नहीं थे। सरकार को अब इनके प्रति मानवीय होना होगा। उन्हें निर्धारित मुआवाजा राशि तो देनी ही है। उनका इलाज भी कराना होगा। समाज के लोगों को भी इनके प्रति अपना नजरिया बदलना होगा। इससे इनकी जिदगी के कुछ दर्द कम होंगे और जीवन जीने की एक नई उम्मीद जगेगी।
जुर्माना और मुआवजा
 विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में इस अपराध के लिए कम से कम दस साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा और दस लाख रुपए जुर्माने के प्रावधान की सिफारिश की थी। आयोग ने जुर्माने की राशि पीड़ित को देने का प्रावधान कानून में ही करने का सुझाव दिया था। इसके लिए उसने कई देशों के कानूनों की छानबीन की थी। आयोग का मत था कि तेजाब के हमले के पीड़ितों के लिए ही नहीं बल्कि बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों से पीडिèत के पुनर्वास के लिए भी केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर मुआवजा बोर्ड बनाने की आवश्यकता है। भारतीय दंड संहिता में शामिल धारा 326 (क) का संबंध किसी व्यक्ति द्बारा जानबूझ कर किसी पर तेजाब फेंककर उसे स्थायी या आंशिक रूप से कुरूप बनाने या शरीर के विभिन्न अंगों को गंभीर रूप से जख्मी किए जाने से है। यह एक संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है जिसके लिए कम से कम दस साल और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। इसके साथ ही दोषी पर उचित जुर्माना भी किया जायेगा और जुर्माने की रकम पीड़ित को देने का इसमें प्रावधान है।

कानून काफी नहीं है
इस तरह के अपराधों को हम केवल कानून बना कर नहीं रोक सकते है या ये कहें कि किसी भी सामाजिक समस्या को केवल कानून बना कर नहीं रोका जा सकता है। दहेज़ कानून , कन्या भ्रूण हत्या ,बाल विवाह और घरेलू हिसा कानून बना कर हम पहले ही देख चुके है। इससे अपराध पर कोई लगाम नहीं कसा जा सका है। उसके बाद एक लड़की पर तेजाब फ़ेक कर उसे मौत से भी बदतर जीवन देने वाले के लिए क्या दस साल की कैद काफी है? किसी लड़की के लिए इस तरह की घटना मौत से भी बड़ी है। ऐसा करने वालों पर तो हत्या का मुकदमा चलाना चाहिए और उसे लड़की के जीवित रहने पर कम से कम आजीवन कारावास और उसकी मृत्यु होने पर उसे सीधे फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए। फिर कानून बना देने से काम नहीं चल सकता है। जरूरी है कि उसे कड़ाई से लागू किया जाए अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और उसे सजा भी दिलाई जा सके। लेकिन वर्तमान में हमारे देश की कानून व्यवस्था को देख कर मुमकिन नहीं लगता है कि ऐसा हो पाना संभव है?
अपराधी की मानसिकता पर चोट की जाए
अब यहां सवाल यह है कि इन घटनाओं को कैसे रोका जाए? ऐसे में इसके लिए जरूरी है कि अपराध की मानसिकता पर चोट की जाए। अभी तक जो भी केस सामने आए हैं उन सभी में तेजाब फेंकने के पीछे वजह यही थी कि लड़की का चेहरा ख़राब करके उसके जीवन को बर्बाद कर दिया जाए। उसे शारीरिक नुकसान के साथ ही एक बड़ी मानसिक चोट दी जाए। जिससे वो कभी भी बाहर ना आ सके।
 सरकार जो प्रस्ताव ला रही है उसमे भी दस लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है जो निश्चित रूप से लड़की के लिए होगा ताकि वह अपना इलाज करा सके। कितु जब अपराधी इस जुर्माने को भर ही नहीं सकेगा तब इसके लिए जरूरी है कि सरकार पीड़िता की प्लास्टिक सर्जरी कराए ताकि पीड़िता को उसका पुराना चेहरा मिल सके। यह सर्जरी भी आधुनिक सर्जरी होनी चाहिए। ताकि अपराधी के तेजाब फेंक कर उसका चेहरा बरबाद करने का मकसद पूरा न हो सके । जिससे इस तरह की कोई भी बात किसी के दिमाग में न आए। 

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