Thursday 6 February 2014

आप  कि खास  हमारी  आस  , गिरती  साख 

वो दिन भी थे जब अन्ना अनशन में थे और केजरीवाल उनके सहयोगी तब केजरीवाल कि छवि एक आम यक्ति के रूप में थी। जिसने सब कि लड़ाई को कूद कि लड़ाई समझी और अकेले ही मैदान में निकलने कि सोची। पर आज अफ़सोस इस बात का है कि वो   जिस काम को करने के लिए निकले थे राजनीती में आ कर वे उसी रंग में ढलते नज़र आ रहे है । भ्रस्टाचार के खिलावफ आवाज़ उठा कर मुखमंत्री तो बन गए अब आप खुद को ईमानदार और दुसरो को भ्रस्टाचार साबित कर के कहीं आप प्रधानमंत्री बनने  कि तो नहीं  सोच रहे है ? बस  आपकी  चिंता  करते हुआ हम यही मनाएंगे  कि सता में में  आपका  पता सलामत  रहे . 

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