क्या नींद थी सवेरे 5 बजे की वो खिड़की से आने वाली बहार की ठंडी हवाए
कोयल की मीठी आवाज़ और एक प्यारा सा सपना , मनो जनत रुपी सैर हो
गयी , सपनो से मनो उठने का मन ही न करे , कभी कभी आचे सपने भी कम आते है ,उस नींद से अब उठने का मन ही न करे , फिर धीरे से माँ कमरे मे आई प्यारा सा हाथ सर में फेरा
वो हात तोह ऐसा लग रहा था जैसे मानो नींद की हावैया तेज हो गयी हो , फिर
धीरे से माँ ने कान मी आवाज़ दी " बेटा अब उठ जा समय हो गया है वो आवाज
तो कान थक गयी ही नही 10 मिनट के बाद माँ का प्यार गुस्से मई में बदल
गया और कहने लगी " अब तो उठ जा तेरा नास्ता कितने बार गर्म करू ? एक तो सिलेण्डर के दम
असमान छु रहे है और उपरे से तेरे सपनो ने महंगाई मई आटा गिला कर रखा है
, बस फिर किस बात की धेर थी उससे वक्त सपना टुटा नींद उठी और नास्ता
सामने , थोड़ी देर के साथ पेपर पढने के बाद माँ की आवाज़े फिर से कानो में गूंजी " जल्दी तैयार हो जा पापा के साथ ही जाना बार- बार डीजल का खर्चा कौन देगा , माँ का भी खेना एक तरफ से सही ही था , अब भाई डीजल के दम में 5 रुपये की वृद्धि , रसोई गैस के दम में वृद्धि ,18 महीने में रीटेल में एफ डी आई आदि सर्कार ने फैसला तो
कर लिया लेकिन भाई साहब क्या सर्कार हमे ये बतायंगी की इससे अब हम आम
आदमी की आमदनी कैसे बढेगी , डीजल के दाम बढ़ने से सभी वस्तुओं के दाम बढ़
जायेंगे और इससे सर्कार की आमदनी बढ़ेगी , सरकारी कर्मचारियों का वेतन
बढेगा , क्या इससे प्राइवेट नौकरी करने वालो को क्या कोई फेदा मिलेगा ? हम खान जाये अब इस महंगाई में ये भी अब सर्कार ही बताये . अब लगा की माँ ने सही कहा था की यहाँ सपने दिखने के भी कीमत होती है .
superbe and true said.........
ReplyDeleteso true..........
ReplyDeleteअच्छी कल्पना के साथ लिखा है, मगर सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी हुआ. कहानी थोडा और खीचने की जरुरत थी. कोई नहीं अगली बार,,,,,,,,,
ReplyDelete