आक्रोश
पर यह सबसे अफ़सोस की बात है कि दुष्कर्म की शिकार लडकियों के साथ ऐसे व्यवहार किया जाता है जैसे मानो वे चरित्रहीन और दुराचारी हो । जबकि इसके विपरीत दुष्कर्म करने वाले अधिकांश लोग खुले घूमते रहेते है , उन्हें सजा की न तो डर होती है और न ही समाज का कोई शर्म , इससे पहले ऐसे ही एक घटना जो भूले न भूल सकेगी 16 /dec /012 दिल्ली की वो दर्दनाक घटना । यह गुनहा भी गैंग रेप का था । यह घटना इतनी दर्दनाक थी की पूरे देश को झिंझोर कर रख दिया, इस घटना को अंजाम देने के लिए लोग सडको पर उतर आये इंडिया गेट और देश के विभिन हिस्सों में विरोध प्रदर्शन होते रहे। इस घटना के बाद महिला की सुरक्षा को लेकर कानून सक्त हो गयी और सरकार ने ऐसी घटना दुबारा न होने का भरोसा दिलाया परन्तु ऐसा लगता है कि ऐसी घटना न केवल लगातार होती रही । सच्चाई यह है की ऐसी घटना को रोक पाने में सरकार पूरी तरह से विफल रही है केवल सक्त कानून बना देना ही सुरक्षा नही है दुष्कर्म जैसी संगीन अपराध को तब थक नही रोक जा सकता है जब तक इन गुनेगार को कड़ी से कड़ी सजा न मिल जाये । पर हम इसका पूरा दोष कानून और सरकार को भी कब तक दे ? कहते है जब बीज ही खराब हो तो फल तो खराब निकलेगा ही इस प्रकार अगर घर परिवार में शुरुवात से ही यह शिक्षा न दी जाती कि लड़का कुछ भी गलती करे चलेगा लेकिन लड़की ऐसा नही कर सकती । लडकियों को सिखाया ही यही जाता है कि मर्यादा का पालन करे और समाज के रीति नीति के मुताबिक रहे । यह सामाजिक दोष का क्योंकि हमारे समाज में ही लड़के और लडकियों में भेद भाव है यदि समाज और सरकार मिलकर ऐसी घटना के लिए सक्त कानून बनाये और तुरंत ऐसी संगन अपराध के लिए कड़े नियम कानून बनाये तो ऐसी घटना दुबारा अंजाम देने के लिए भी सोचेगी , सरकार एक्ट न करे बल्कि रियेक्ट करे।
i think govt. should handover such criminals to public so that there is no delay in justice.."delay in justice is equal to injustice"to the victims...
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